Kashi Vishwanath Temple से सीधी खबर – ज्ञानव्यापी मस्जिद के मामले में बनारस कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वेक्षण किये जाने को मंजूरी दे दी है । अदालत ने यह भी कहा की इस सर्वेक्षण का खर्च केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से उठाया जायेगा ।
लखनऊ: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञान व्यापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट ने आज गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण किये जाने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। बनारस के फ़ास्ट ट्रैक अदालत के जज आशुतोष तिवारी ने यह फैसला सुनाया।
Kashi Vishwanath Temple – दिसम्बर 2019 से चल रही थी सुनवाई
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आपको बता दे की इस मामले की सुनवाई के लिए मंदिर पक्ष के पक्षकार श्री विजय शंकर रस्तोगी ने 10 दिसंबर 2019 को अदालत में याचिका दायर की थी। और इस पर श्री विजय शंकर रस्तोगी की याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने गुरवार 08 अप्रैल 2021 को विवादित स्थल के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए मंजूरी दी।
केंन्द्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से उठाएगी खर्च
अदालत ने (Kashi Vishwanath Temple) अपने फैसले में यह भी आदेश दिया की इस सर्वेक्षण का पूरा खर्च केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मिलकर वह किया जायेगा। साथ ही साथ ये भी कहा की सर्वेक्षण की रिपोर्ट अदालत में भी पेश की जाएगी। मंदिर पक्ष के लोगों में काफी ख़ुशी दिखायी दी। मंदिर पक्ष के लोग इस फैसले को बड़ी जीत मान रहे हैं।
5 सदस्यीय कमेटी द्वारा किया जायेगा सर्वेक्षण
अदालत ने आदेश दिया की इस सर्वेक्षण को ASI के निदेशक द्वारा करवाया जायेगा। उन्ही के नेतृत्व में बनने वाली 5 सदस्यीय कमेटी में विद्वान व्यक्ति शामिल होंगे। इस टीम में अल्पसंख्यक समुदाय के दो सदस्य भी शामिल रहेंगे। विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र से 1 व्यक्ति इस सर्वेक्षण कार्य का आब्जर्वर रहेगा जो किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से सम्बंधित होगा। ऐसी की 5 सदस्यीय कमेटी प्रतिदिन अपनी रिपोर्ट इस आब्जर्वर को सौपेगी।
प्रतिदिन 9-5 होगा सर्वे
अदालत ने कहा की यह सर्वे प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम5 बजे तक किया जायेगा। GPR तकनीक और Geo Radiology System के जरिएयह सर्वेक्षण किया जायेगा। पूरे सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जाएगी कलर और ब्लैक एंड वाइट फोटोग्राफी भी करनी होगी। कोई भी पक्ष ASI की टीम पर दबाव नहीं बनाएगा।
पढ़ी जाएगी नमाज
अदालत ने अपने आदेश में यह भी साफ़ कर दिया की सर्वे के दौरान प्रशाशन इस बात का पूरा ख्याल रखे की मुस्लिम समुदाय के लोगों को नमाज अदा करने से न रोका जाये। कोर्ट ने हिदायत भी दी की सर्वेक्षण के दौरान मीडिया वहाँ मौजूद न रहे और न ही कमिटी सदस्य किसी मीडिया से बातचीत करे। अदालत ने कहा की सर्वेक्षण समाप्त होने के बाद पूरी रिपोर्ट सील कवर लिफाफे में कोर्ट में पेश की जानी होगी।
दूसरा मामला है अयोध्या मामले जैसा
ये भी बताते चले की अयोध्या के बाद देश में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमे मंदिर मस्जिद की जमीन तय करने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए गए हैं।
विवाद आखिर था क्या?
कहते हैं की ज्ञानव्यापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने कराया था और ये मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गयी थी । इसी बात को लेकर यह पूरा विवाद चल रहा है । 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने अदालत में मुकदमा दायर करते हुए कहा था की मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही एक हिस्सा है।
और यहाँ हिन्दुओं को दर्शन करने और पूजापाठ करने के साथ ही मरम्मत कराने का भी अधिकार होना चाहिए । उन्होंने दावा किया था की विवादित परिसर में विश्वनाथ शिवलिंग आज भी स्थापित है । हालाँकि सामने से मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में ये दावा किया गया है की वहां कभी कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था और न ही औरंगजेब ने उसे कभी तोड़ा। मस्जिद वहां अनंत काल से है।
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