वहीं अब वनराज को उसके किए हुए का फल वापस मिलेगा जिस तरह वनराज ने काव्या को छोड़ दिया था अब काव्या बलराज के मुंह पर ताला के पेपर मांग कर उससे अलग होने वाली है
और बहुत खुश होती है वह अनुज को देखती है अनुज सो रहा होता है उसके चेहरे पर धूप आ रही है वह जाकर अनुज के चेहरे के सामने खड़ी हो जाती है उनके प्यार का एक मीठा लम्हा दिखाया गया है
इधर दिखाया जाता है कि समर चाय बना रहा होता है बापू जी के लिए और सभी वनराज और बाद ही आते हैं पाकी कहती है कि वनराज और बाकी लिए भी चाय बनाना है तभी बापूजी पूछते हैं
कि मैंने शादी के बीच में भी देखा था काव्य किसी से छुप छुप कर बात कर रही है वह पता करने जाती है तो देखती क्या है कि काव्या अनिरुद्ध से बात कर रही होती है बात खत्म होने के बाद
सब लोग बहुत शौक हो जाते हैं काव्या कहती है कि अनुपमा ने मेरे लिए इतना कुछ किया है इसलिए मैं सिर्फ उसकी शादी होने तक रुकी हुई थी अब शादी खत्म तो यह ड्रामा भी खत्म।
इधर अनुपमा तुलसी जी को जल अर्पित करती है और भगवान की आरती आती है यह देख कर जी के और अगर जी बहुत खुश होते हैं अब अनुपमा किचन में खड़े होकर नाश्ता बनाने के लिए तैयारियां कर रही है
और इधर वनराज का परिवार टूट चुका है दूसरी तरफ वनराज अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा उसके अंदर वही अहंकार है और वह कहता है कि यह वनराज शाह का परिवार है अनुपमा गई लेकिन मैं इस परिवार के लिए जिंदा हूं
वहीं दूसरी तरफ सब अनुज और अनुपमा अपनी हनीमून के लिए जाने वाले हैं